शिवराज मंत्रिमंडल का गठन अप्रैल में, 24 से 26 मंत्री शामिल होंगे

 कोरोनावायरस को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने मंत्रिमंडल का गठन भी टाल दिया है। स्वास्थ्य से जुड़ी स्थितियां बेहतर हो जाती हैं तो कैबिनेट का गठन अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में हो सकता है। पहली बार में ही कांग्रेस से भाजपा में जाने वाले 22 में से नौ नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। इनमें छह तुलसी सिलावट, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभुराम चौधरी, इमरती देवी और प्रद्युम्न सिंह तोमर सिंधिया समर्थक हैं। शेष तीन में बिसाहूलाल सिंह, एेंदल सिंह कंसाना और राजवर्धन सिंह दत्तीगांव शामिल हैं। वहीं, दूसरी तरफ सिंधिया का केस खोलने वाले एडीजी को हटाया गया है।  


6 से 8 राज्यमंत्री हो सकते हैं


शिवराज की टीम 24 से 26 लोगों की बनेगी, जिसमें 6 से 8 राज्यमंत्री हो सकते हैं। हालांकि शिवराज सिंह के सामने यह चुनौती होगी कि वे अपने लोगों में से किसे शामिल करते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में करीब 13 मंत्री चुनाव हार गए, जबकि कुछ को टिकट ही नहीं मिला। इस बार जगदीश देवड़ा, अजय विश्नोई, करण सिंह वर्मा, कमल पटेल, मीना सिंह, बृजेंद्र प्रताप सिंह, हरिशंकर खटीक और गोपीलाल जाटव चुनाव जीत कर आए हैं। ये पूर्व में मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा ऐसे भी दावेदार हैं, जो तीन या चार बार के विधायक हो गए हैं। इनमें ओम प्रकाश सकलेचा, यशपाल सिंह सिसोदिया, राजेंद्र पांडे, देवेंद्र वर्मा, रमेश मेंदोला और ऊषा ठाकुर आदि शामिल हैं। इसके अलावा भोपाल से रामेश्वर शर्मा और भिंड से अरविंद भदौरिया की भी दावेदारी प्रबल है।


तीन दलितों से गड़बड़ाएगा समीकरण


तीन दलितों के कारण भी समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। कांग्रेस से भाजपा में आने वाले तुलसीराम सिलावट, इमरती देवी और प्रभुराम चौधरी तीनों दलित हैं। इन्हें एक साथ मंत्रिमंडल में जगह दी जाती है तो आदिवासी के साथ बाकियों को भी मुख्यमंत्री को साधना होगा।


भाजपा से यह तो पहले से ही बड़े दावेदार
गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, गौरीशंकर बिसेन, रामपाल सिंह, पारस जैन, राजेंद्र शुक्ला, यशोधरा राजे सिंधिया, विजय शाह, विश्वास सारंग, संजय पाठक, सुरेंद्र पटवा, जालिम सिंह पटेल, सीतासरन शर्मा।


सिंधिया का केस खोलने वाले एडीजी को हटाया 


राज्य सरकार ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू)महानिदेशक सुशोभन बनर्जी को हटाकर उन्हें एडीजी जेएनपीए सागर पदस्थ किया है। उनके स्थान पर एडीजी सीआईडी राजीव टंडन को ईओडब्ल्यू का प्रभारी महानिदेशक पदस्थ किया गया है। सरकार के भरोसेमंद अफसर एडीजी भोपाल आदर्श कटियार को एडीजी इंटेलिजेंस की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा का दामन थामने के साथ ही ईओडब्ल्यू ने छह साल पुरानी एक शिकायत में दोबारा जांच शुरू कर दी थी। इस जांच को एक हफ्ते बाद ही नस्तीबद्ध कर दिया गया था। तभी से बनर्जी का हटना तय माना जा रहा था। प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की ओएसडी थी, इसलिए उनका भी इस पद से हटना तय था। उपेंद्र जैन भी सरकार के करीबी माने जाते हैं।


8 मार्च को हटाए गए ग्वालियर ननि कमिश्नर आठवें दिन ही बहाल


2010 बैच के आईएएस अधिकारी व ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर संदीप कुमार माकिन का तबादला आदेश गुरुवार को रद्द हो गया है। आठ दिन पहले 18 मार्च को कमलनाथ सरकार ने माकिन को ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर पद से हटा दिया था, साथ ही उनकी पदस्थापना संचालक गैस राहत के पद पर भोपाल कर दी गई थी। माकिन की पोस्टिंग ज्योतिरादित्य सिंधिया ने करवाई थी। उनके भाजपा में जाते ही माकिन का तबादला कर दिया गया। अब भाजपा के सत्ता में आते ही माकिन का तबादला निरस्त कर दिया गया। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि सिंधिया ने इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात की थी। पूर्व में माकिन की जगह जबलपुर के अपर कलेक्टर आईएएस अधिकारी हर्ष दीक्षित की पोस्टिंग ग्वालियर ननि कमिश्नर के पद पर की गई थी। आदेश निरस्त होने से दोनों अधिकारी अपनी जगह पदस्थ रहेंगे।


अनुराग सक्सेना कमलनाथ के विशेष सहायक बने


उप सचिव अनुराग सक्सेना को कमलनाथ की निजी स्थापना में विशेष सहायक नियुक्त किया है। कमलनाथ सरकार में सक्सेना सीएमओ में छिंदवाड़ा से जुड़े काम देखते थे और सभी विभागों से समन्वय करते थे।


कौरव दूसरी बार बने मप्र के महाधिवक्ता


सुप्रीम कोर्ट में वकील पुरुषेंद्र कौरव दूसरी बार मप्र के महाधिवक्ता नियुक्त किए गए हैं। वे पिछली भाजपा सरकार में जून 2017 से लेकर दिसंबर 2018 तक महाधिवक्ता रहे थे। अब शिवराज ने दोबारा उन्हें मौका दिया है। प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी को दूसरी बार महाधिवक्ता बनाया गया हो। सूत्रों का कहना है कि मप्र में हाल ही में हुए सत्ता परिवर्तन के कानूनी पहलुओं में वे भी जुटे रहे थे।